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झालावाड़: स्कूल भवन ढहने से 7 बच्चों की मौत, 30 से ज्यादा घायलCM ने दिए जांच के निर्देश, PM ने जताया शोक | शिक्षा विभाग कटघरे में

📌 पूरी जानकारी, घटनास्थल से रिपोर्ट और जवाबदेही पर केंद्रित विश्लेषण पढ़ें जनमत जागरण पर

प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने जताया शोक | शिक्षा विभाग की लापरवाही से फिर बहा मासूमों का लहू

जनमत जागरण @ मनोहरथाना (झालावाड़)

राजस्थान के झालावाड़ जिले के मनोहरथाना ब्लॉक स्थित पीपलोदी सरकारी स्कूल में शुक्रवार सुबह दर्दनाक हादसा हो गया। बारिश के चलते स्कूल की जर्जर इमारत का एक कमरा अचानक भरभराकर गिर गया। 7वीं कक्षा के छात्र-छात्राओं से भरे इस कमरे में 7 बच्चों की मौत हो गई जबकि 30 से अधिक घायल हो गए हैं।

📍 सुबह 8 बजे हुआ हादसा | चीख-पुकार से मचा हाहाकार

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, स्कूल की छत गिरने से जोरदार धमाका हुआ और पूरे परिसर में चीख-पुकार मच गई। ग्रामीणों, शिक्षकों और प्रशासन की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ।


⚠️ प्रशासन सक्रिय | कलेक्टर ने जताई सख्त कार्रवाई की मंशा

जिला कलेक्टर अजय सिंह राठौड़, पुलिस अधीक्षक अमित कुमार सहित अधिकारी घटनास्थल पर मौजूद हैं। मलबे में दबे सभी बच्चों को निकाला गया। कलेक्टर ने घटना की गहन जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।


💔 35 छात्र दबे मलबे में | 7 बच्चों की मौत की पुष्टि

कक्षा में 35 छात्र मौजूद थे। रेस्क्यू टीम ने 1 घंटे में सभी को निकाला, लेकिन 7 की मौत हो गई:

  • पायल (14) पुत्री लक्ष्मण
  • प्रियंका (14) पुत्री मांगीलाल
  • कार्तिक (8) पुत्र हरकचंद
  • हरीश (8) पुत्र बाबूलाल
  • मीना (उम्र स्पष्ट नहीं)
  • 2 अन्य की शिनाख्त शेष

🏥 घायलों का इलाज जारी | 11 छात्र झालावाड़ रेफर

गंभीर घायलों में शामिल हैं:

  • कुंदन (12), मिनी (13), वीरम (8), मिथुन (11), आरती (9), विशाल (9), अनुराधा (7), राजू (10), शाहीना (8) सहित अन्य

🗣️ शिक्षा मंत्री का बयान – “हजारों स्कूल भवन जर्जर”

शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने हादसे पर दुख जताया। उन्होंने कहा:

“राज्य में हजारों स्कूल भवन जर्जर हालत में हैं। लगभग 200 करोड़ की मरम्मत योजना प्रारंभ हुई है। वर्तमान प्राथमिकता घायल बच्चों के इलाज की है।”

लापरवाही या व्यवस्था की मूक हत्या?

यह सवाल अब हर माता-पिता और समाज के ज़हन में कौंध रहा है कि क्या बच्चों की जान इतनी सस्ती हो गई है?जहां एक ओर शिक्षा मंत्री स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि “हजारों स्कूल भवन जर्जर हैं,” वहीं यह स्पष्ट संकेत है कि यह हादसा प्राकृतिक नहीं, बल्कि ‘प्रशासनिक हत्या’ की श्रेणी में आता है।बरसात से पहले बिल्डिंग की जांच क्यों नहीं हुई?स्कूल में रोज आने वाले बच्चों को खतरे से क्यों नहीं बचाया गया?क्या भवन निरीक्षण केवल फाइलों तक सीमित था?


🇮🇳 PM और CM ने जताया शोक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने हादसे पर दुख प्रकट किया।
मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया:

“पीपलोदी विद्यालय में छत गिरने से हुआ हादसा अत्यंत दुःखद और हृदयविदारक है। घायलों के समुचित उपचार के निर्देश दिए हैं। ईश्वर दिवंगत आत्माओं को शांति दें।”

🕵️ हादसे का सच | सार्थक दृष्टिकोण से

यह कोई पहली घटना नहीं है। हर साल बरसात आते ही जर्जर स्कूल भवनों में बच्चों की जान जोखिम में पड़ जाती है। शिक्षा विभाग की नीतिगत लापरवाही और निरीक्षण तंत्र की असफलता का यह भयावह उदाहरण है।> क्या स्कूलों की बिल्डिंग्स की समय-समय पर जाँच नहीं होनी चाहिए थी?क्या शिक्षकों को खतरनाक भवनों में पढ़ाई रोकने के निर्देश नहीं दिए जाने चाहिए थे?क्या अब भी इंतजार किया जाएगा जब अगली बारिश फिर किसी मासूम की जान लेगी?राज्य के शिक्षा ढांचे में भवन सुरक्षा को लेकर गंभीर नीति और ज़मीनी क्रियान्वयन की आवश्यकता है।अगर यह हादसा किसी मंत्री या अफसर के बच्चे के साथ होता, तो शायद जर्जर स्कूल भवनों की मरम्मत प्राथमिकता में होती।> यह हादसा नहीं, व्यवस्था की चेतावनी है। अब चुप रहना, भागीदारी होगी अगली त्रासदी में।

🚨 सवाल उठते हैं:

  • क्या स्कूल भवनों की समय-समय पर जांच नहीं होनी चाहिए थी?
  • क्या शिक्षकों को खतरनाक भवनों में पढ़ाई रोकने के निर्देश नहीं देने थे?
  • क्या अब भी इंतजार होगा अगली त्रासदी का?

यदि यह हादसा किसी मंत्री या अधिकारी के बच्चे के साथ होता, तो शायद इन स्कूलों की मरम्मत प्राथमिकता होती।


📑 प्रशासन पर सवाल – 10 दिन पहले आए थे निर्देश

14 जुलाई 2025 को शिक्षा विभाग ने सभी जिलों को पत्र भेजा था:

  1. जर्जर छतों और दीवारों की मरम्मत करें।
  2. खुले बोरवेल, गड्ढे, जलभराव से सुरक्षा सुनिश्चित करें।
  3. बिजली के खुले तारों की जांच करें।
  4. खतरनाक भवनों में कक्षाएं बंद करें।

👉 लेकिन पीपलोदी स्कूल में इस आदेश का पालन नहीं हुआ।

स्थानीय लोगों का कहना है कि भवन काफी समय से खस्ताहाल था, कोई निरीक्षण नहीं हुआ, न कोई वैकल्पिक व्यवस्था बनाई गई।


✍️ कलम विशेष | जनमत की जिम्मेदारी

यह हादसा एक चेतावनी है, चुप रहना अगली त्रासदी में भागीदार बनना है।

सरकार को अब संकल्प लेना होगा –
हर स्कूल की संरचनात्मक जांच हो, जर्जर भवनों में कक्षाएं तुरंत रोकी जाएं, और सभी रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएं।


🔗 और जानिए – रिपोर्ट, फोटो-वीडियो, विश्लेषण

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