ब्रेकिंग न्यूज : “सुसनेर नगर परिषद में भूचाल: अध्यक्ष लक्ष्मी सिसोदिया पर अविश्वास, 13 पार्षदों ने जताया विरोध”

“भ्रष्टाचार, बैठकों का अभाव और अवरुद्ध विकास से नाराज पार्षद – 13 ने किया बगावत, कलेक्टर को सौंपा सूचना पत्र”
विश्वास की डोर जब टूटती है, तो राजनीति की जमीन हिल जाती है। सुसनेर नगर परिषद में ऐसा ही तूफान उठा है, जहां सत्ता के शीर्ष पर बैठी अध्यक्ष लक्ष्मी राहुल सिसोदिया को अपनी ही परिषद के पार्षदों के अविश्वास का सामना करना पड़ रहा है। आरोप गंभीर हैं – विकास कार्यों का अभाव, भ्रष्टाचार की गूंज और लोकतांत्रिक मूल्यों की अनदेखी। सवाल यह है कि क्या यह अविश्वास केवल सत्ता परिवर्तन की भूमिका है या जनता के धैर्य का परिणाम?

जनमत जागरण @ सुसनेर से दीपक जैन। सुसनेर नगर परिषद अध्यक्ष लक्ष्मी राहुल सिसोदिया के खिलाफ गुरुवार को परिषद के 15 में से 13 पार्षदों ने कलेक्टर को अविश्वास प्रस्ताव का सूचना पत्र सौंपकर नगर की राजनीति में हलचल मचा दी। पार्षदों का आरोप है कि परिषद गठन के बाद से अब तक किसी भी वार्ड में अपेक्षित विकास कार्य नहीं हुए। नागरिक आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं।
विकास कार्यों की अनदेखी का आरोप
पार्षदों ने कहा कि परिषद गठन को काफी समय हो चुका है, लेकिन अध्यक्ष की कार्यशैली के कारण न तो सड़कें सुधरीं, न नालियां बनीं और न ही स्वच्छता व्यवस्था में सुधार हुआ। नागरिकों को पीने के पानी, सड़क, नालियों और प्रकाश व्यवस्था जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए भी परेशान होना पड़ा।
भ्रष्टाचार के आरोप भी शामिल
पार्षदों ने अध्यक्ष पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि ई-रिक्शा खरीदी में भारी गड़बड़ी हुई। लगभग 30 लाख रुपये की एलईडी खरीदी गईं, लेकिन आज भी नगर अंधेरे में डूबा हुआ है। इसके अलावा 10 लाख रुपये की लाइटें चोरी होने की भी शिकायत सामने आई। वहीं, स्वागत द्वार नगर सीमा से बाहर लगाए जाने पर भी सवाल उठे।
सामूहिक विरोध
अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वाले पार्षदों में इब्बादुल्ला खान, प्रेमबाई, नईम मेव, प्रदीप सोनी, स्नेहा युगल परमार, कल्पना जितेंद्र सावला, रेखा दिलीप जैन, राकेश कानुडिया, सोनिया अर्जुन जादमे, मीना पवन शर्मा, शेख उमर फारुख शामिल हैं। इनका कहना है कि अध्यक्ष की कार्यशैली लोकतांत्रिक भावना के विपरीत है। पार्षदों की राय और सुझावों को महत्व नहीं दिया गया। परिषद की बैठकों में पारदर्शिता का अभाव रहा।

प्रशासन की पुष्टि
अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी (एडीएम) आर.पी. वर्मा ने बताया कि कलेक्टर को अविश्वास प्रस्ताव की सूचना मिली है। विधि अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी। निर्धारित समयसीमा में प्रक्रिया पूरी कर पार्षदों को अवसर दिया जाएगा।
नगर में चर्चा का विषय
अचानक आए इस घटनाक्रम ने सुसनेर की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। नगरवासियों के बीच चर्चाएं तेज हैं कि यह अविश्वास प्रस्ताव आगामी राजनीतिक समीकरणों को किस दिशा में ले जाएगा।
पार्षदों की एकजुटता बनी चुनौती
15 में से 13 पार्षदों का अध्यक्ष के खिलाफ खड़ा होना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। राजनीतिक समीकरण बदलने के संकेत साफ हैं। आपको बता दे कि हस्ताक्षर 13 के है 11 कलेक्टर के समक्ष पहुँचे थे 2 निजी काम से बाहर थे तो आये नही थे ।

✍️ संपादकीय सार्थक चिंतन
“सुसनेर नगर परिषद में उठे इस अविश्वास के तूफान ने न केवल स्थानीय राजनीति को झकझोरा है, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों पर भी सवाल खड़े किए हैं। जनता विकास चाहती है, पारदर्शिता चाहती है। लेकिन जब जवाबदेही के स्थान पर भ्रष्टाचार, घोटाले और बैठकों की औपचारिकता हावी हो जाती है, तब पार्षदों का यह कदम स्वाभाविक हो जाता है। अब देखना यह है कि क्या यह अविश्वास नगर को विश्वास की नई राह दिखाएगा, या फिर यह भी केवल सत्ता की अदला-बदली भर रह जाएगा।”