“हिमालय की गोद में गूंजेगी भागवत कथा | बद्रीनाथ धाम में भक्तों का महायज्ञ” – 2 से 6 सितंबर तक होगा आयोजन”

“सोयतकलां से निकला भक्तों का जत्था | बद्री विशाल धाम में श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ”“चार धाम यात्रा का आध्यात्मिक शिखर – बद्रीनाथ कथा महोत्सव | यह आयोजन क्यों अद्वितीय?”
“जब हिमालय की गोद में स्थित दिव्य धामों की ओर कदम बढ़ते हैं, तो यह केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि आत्मा के शुद्धिकरण का संकल्प होता है। ऋषियों की तपोभूमि, देवताओं के निवास और वेदों में वर्णित पावन स्थल – बद्रीनाथ धाम – जहां गंगा की धारा और आस्था की शक्ति एकाकार होती है, वहीं अब पांच दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा की गूंज होने जा रही है। यह आयोजन केवल कथा नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति की जीवंत अनुभूति है।”

बद्रीनाथ धाम में पांच दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ 2 सितंबर से
जनमत जागरण @ सोयतकलां
बद्रीनाथ धाम में 2 से 6 सितंबर तक पांच दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का भव्य आयोजन होने जा रहा है। कथा व्यास पंडित राधेश्याम जी दुबे अपने मुखारविंद से इस पावन कथा का वाचन करेंगे।

गुरुवार को सोयतकलां से श्रद्धालु नगरवासियों का जत्था बद्रीनाथ धाम की ओर रवाना हुआ। यात्रा मार्ग में श्रद्धालु देवदर्शन करते हुए केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री होते हुए बद्री विशाल धाम पहुंचेंगे। इस भव्य आयोजन में क्षेत्रवासियों ने तन, मन और धन से योगदान कर इसे सफल बनाने में अपनी भागीदारी निभाई।
राडी़ के बालाजी सत्संग समिति के संत मिश्रा जी तथा आयोजकों का कहना है कि इस कथा के माध्यम से सनातन धर्म के आदर्शों का प्रचार-प्रसार होगा और भक्तों को अध्यात्म के उच्चतम शिखर का अनुभव प्राप्त होगा।
इस आयोजन के मुख्य यजमान

इस दिव्य कथा के यजमानों में रमेशचंद मोदी, विष्णु पांवडिया, राजेश कुमरावत, अरविंद मोदी, विष्णु कारपेंटर (सोयतकलां) तथा नंदकुमार मोदी (झालावाड़) मुख्य यजमान के रूप में जुड़े हैं। इनके साथ अन्य श्रद्धालु यजमानों ने भी इस आयोजन को सफल बनाने में सक्रिय योगदान दिया। यह सभी यजमान अपने आस्था, समर्पण और सहयोग के लिए सराहना के पात्र हैं।

✍️ (संपादकीय)
यात्राएं क्यों आवश्यक हैं? सनातन संस्कृति में चार धाम का महत्व
यात्रा भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रही है। तीर्थयात्रा केवल भौतिक स्थान परिवर्तन नहीं, बल्कि मन और आत्मा की साधना है। शास्त्रों में कहा गया है – “यात्रा करो, आचरण करो, आत्मा को शुद्ध करो।”

चार धाम यात्रा – बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री – का उल्लेख वेदों और पुराणों में मिलता है। इन यात्राओं का उद्देश्य केवल देवदर्शन नहीं, बल्कि जीवन के मूल्यों को समझना है। हिमालय की ऊंचाई पर चढ़ते समय अहंकार गलता है, कठिन मार्ग मन को संयमित करता है और प्रकृति के सान्निध्य में आत्मा परमात्मा के करीब पहुंचती है।

बद्रीनाथ धाम का महत्व विशेष है क्योंकि यह भगवान विष्णु का निवास माना गया है। स्कंदपुराण में उल्लेख है कि कलियुग में केवल बद्री-विशाल के दर्शन से ही मोक्ष प्राप्त होता है। यहीं अध्यात्म की वह धारा बहती है, जो मनुष्य को सांसारिक मोह से मुक्त कर शांति और आनंद की ओर ले जाती है।
आज जब जीवन भागदौड़ से भरा है, तब ऐसी यात्राएं हमें याद दिलाती हैं कि मनुष्य केवल भौतिक संसाधनों से संतुष्ट नहीं हो सकता, उसकी आत्मा को भी शुद्धि और शांति चाहिए। यही कारण है कि सनातन संस्कृति में तीर्थयात्रा को पुण्यकारी ही नहीं, बल्कि आवश्यक माना गया है। – राजेश कुमरावत ‘सार्थक’