अलौकिक कामधेनु गो अभ्यारणआगर मालवादेशमध्यप्रदेशहेल्थ

श्री कामधेनु गो-अभ्यारण में व्यक्तित्व विकास शिविर का समापन समारोह कल | छात्रों ने पेश की कराटे, योग और संस्कारों की मिसाल

📰 व्यक्तित्व विकास शिविर समापन की पूर्व संध्या पर छात्रों में उत्साह चरम पर

जनमत जागरण @ सुसनेर/16 जून।
“जहां आत्मविश्वास ने ली उड़ान, जहां अनुशासन बना अभिमान – वहीं आकार ले रहा है देश का भविष्य…”
विश्व का प्रथम गो-अभयारण्य सालरिया में (श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा के सानिध्य में ) इन दिनों केवल धार्मिक आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि बाल-युवाओं के व्यक्तित्व निर्माण की जीवंत प्रयोगशाला बन गया है। श्री कामधेनु गुरुकुलम एवं सूर्या फाउंडेशन, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में संचालित व्यक्तित्व विकास शिविर अब अपने समापन की ओर बढ़ रहा है। शिविर के समापन की पूर्व संध्या पर पूरे परिसर में एक अद्भुत ऊर्जा और उल्लास का वातावरण बना रहा।

आज का दिन शिविरार्थियों द्वारा समापन समारोह की तैयारियों में समर्पित रहा। शिविर के दौरान सीखी गई विभिन्न गतिविधियों का प्रदर्शन कल 17 जून को सैकड़ों आगंतुकों एवं विशिष्ट अतिथियों के समक्ष किया जाएगा। इनमें कराटे, मलखंभ, दंड युद्ध, योग, भाषण, देशभक्ति नृत्य आदि प्रमुख आकर्षण होंगे।

छात्रों में विशेष ऊर्जा और आत्मविश्वास देखने को मिला, जो उनके भीतर विकसित हुए आत्मानुशासन, नेतृत्व और रचनात्मकता का प्रमाण है। प्रशिक्षणकर्ताओं और गुरुकुल के व्यवस्थापकों के निर्देशन में सभी प्रस्तुतियों को अंतिम रूप दिया गया।

समापन से पूर्व विशेष संवाद:

जब इस शिविर की उपयोगिता और अनुभवों के विषय में प्रशिक्षकों व आयोजकों से चर्चा की गई, तो उन्होंने इसे भविष्य निर्माण की दिशा में एक अद्भुत प्रयास बताया। श्री कामधेनु गो-अभ्यारण के प्रतिनिधियों ने कहा कि – “यह केवल एक शिविर नहीं, एक संस्कार यात्रा है, जो अगली पीढ़ी को आत्मबल, संस्कृति और राष्ट्रनिष्ठा से जोड़ती है।”
वहीं सूर्या फाउंडेशन के प्रतिनिधियों ने कहा – “यह जीवन निर्माण का केंद्र है, जहां भारत की मूल सभ्यता में रचा-बसा नेतृत्व पनप रहा है।”

कल का समापन समारोह दोपहर 3:00 बजे से होगा, जिसमें समाज के अनेक गणमान्य नागरिक, अभिभावकगण, स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी एवं सांस्कृतिक क्षेत्र के विशेषज्ञों की उपस्थिति रहेगी।

इस शिविर ने न केवल प्रतिभागियों के शारीरिक, बौद्धिक व नैतिक विकास को सशक्त किया, बल्कि उनमें राष्ट्रभावना, स्वानुशासन और समर्पण की भावना को भी दृढ़ता से रोपा है।

Related Articles

error: Content is protected !!