बारिश में भी नहीं रुका जैन मुनि का विहार, पिड़ावा के युवा भक्तों ने दी सेवा की अनूठी मिसाल

भीगते रहे बादल, बढ़ती रही भक्ति — बारिश भी न रोक सकी जैन मुनि का विहार, युवाओं की टोली बनी श्रद्धा की छाया
जहां श्रद्धा होती है, वहां बाधाएं नहीं ठहरतीं — यह वाक्य पिड़ावा की धरती पर उस समय चरितार्थ होता दिखा जब गुरु चरणों में समर्पित युवा भक्तों ने बारिश को भी साध लिया। भीगते बादलों के नीचे आस्था ने एक छतरी तानी, और गुरुभक्ति की पराकाष्ठा का अद्भुत दृश्य आकार ले उठा। समाधी सम्राट मुनि श्री भूतबली सागर जी महाराज के शिष्य मुनि श्री मुक्ति सागर जी महाराज के विहार के दौरान जब मौसम ने करवट बदली, तब पिड़ावा के युवाओं ने भक्ति की छांव बनकर विहार को अविराम बना दिया।
✍️ जनमत जागरण @ पिड़ावा
गुरुवार को मुनि श्री का पैदल विहार सुसनेर के पटपड़ा से शत्रुखेड़ी की ओर था। सालरिया की बावड़ी के पास जैसे ही मुनिश्री की चरणधूलि पहुँची, आसमान से झमाझम बारिश उतर आई। परंतु, गुरुभक्ति की जोत लिए युवाओं की टोली ने तुरंत बड़ा ट्रिपाल लाकर चारों ओर से उसे थाम लिया और उस छाया में मुनिश्री का विहार निर्बाध जारी रखा।
इस भक्ति-शक्ति के दृश्य में शामिल थे — अवदेश जैन, रोहित जैन, अंकित जैन (टीटी), नमन जैन, पर्व जैन, अतुल जैन, प्रिंस जैन, हर्षित जैन, अविनाश जैन, छोटू जैन, विद्यांश जैन, सहर्ष जैन सहित कई अन्य युवा, जिन्होंने न केवल मुनिश्री के विहार को संरक्षित किया, बल्कि भक्ति गीतों की गूंज के साथ वातावरण को भाव-विभोर कर दिया।
यह दृश्य न केवल भक्तिभाव का प्रतीक था, बल्कि एक पीढ़ी की गुरु-निष्ठा, सेवा और समर्पण का ज्वलंत उदाहरण भी था। यह विहार जब ‘आपकी आवाज – जैन की आवाज’ व्हाट्सएप ग्रुप पर वीडियो के रूप में सामने आया, तो समूचे समाज ने इन युवाओं की अनुपम सेवा भावना की मुक्तकंठ से अनुमोदना की।

📌 सार्थक दृष्टिकोण से:
आज के युग में जब युवाओं को भटकाव का प्रतीक मान लिया जाता है, वहीं पिड़ावा जैसे कस्बे के युवाओं ने दिखाया कि आस्था और संस्कार जब जीवन का हिस्सा हों तो विपरीत परिस्थितियां भी सेवा का अवसर बन जाती हैं। यह समाचार केवल एक घटना नहीं, बल्कि समाज के लिए प्रेरणा है कि गुरु के चरणों में भक्ति कभी व्यर्थ नहीं जाती — वह समय, प्रकृति और भविष्य — तीनों को साध सकती है।