“शिक्षकों ने ई-अटेंडेंस पर जताया विरोध: सभी विभागों में एकसाथ लागू करने की मांग, आज सौंपे गए ज्ञापन”

सभी विभागों में एकसाथ ई-अटेंडेंस लागू करे सरकार, अन्यथा शिक्षक रहेंगे अलग
ई-अटेंडेंस के विरोध में आज शिक्षकों का राज्यव्यापी प्रदर्शन, सौंपे जा रहे ज्ञापन
जनमत जागरण @ भोपाल | 28 जून
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा केवल शिक्षक वर्ग पर ई-अटेंडेंस लागू करने के निर्णय का विरोध आज राज्यभर में शिक्षक संगठनों द्वारा व्यापक स्तर पर देखने को मिला। राज्य शिक्षक संघ के आह्वान पर आज प्रदेश के प्रत्येक विकासखंड मुख्यालय पर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया। शिक्षक संगठनों ने स्पष्ट किया कि जब तक यह व्यवस्था सभी विभागों के लिए समान रूप से लागू नहीं की जाती, तब तक शिक्षक वर्ग इस योजना का हिस्सा नहीं बनेगा।
“सिर्फ शिक्षकों को ई-अटेंडेंस देना दुर्भाग्यपूर्ण और अपमानजनक”
राज्य शिक्षक संघ मध्यप्रदेश के प्रांताध्यक्ष जगदीश यादव ने कहा कि सरकार यदि पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करना चाहती है तो ई-अटेंडेंस व्यवस्था को सभी विभागों—स्वास्थ्य, राजस्व, पंचायत, लोक निर्माण, कृषि आदि—में एक साथ लागू किया जाना चाहिए।
उन्होंने दो टूक कहा –
“गुरु परंपरा को खंडित करने वाली व्यवस्था का शिक्षक वर्ग पुरजोर विरोध करेगा।“
“सरकारी स्कूलों की तारीफ़ के बाद यह अविश्वास क्यों?”
उन्होंने स्मरण कराया कि हाल ही में 10वीं-12वीं के परीक्षा परिणामों में शासकीय विद्यालयों के उत्कृष्ट प्रदर्शन पर स्वयं मुख्यमंत्री ने शिक्षकों की भूरी-भूरी प्रशंसा की थी, फिर कुछ ही दिन बाद उन्हीं शिक्षकों पर संदेह की निगरानी प्रणाली लागू करना उनके सम्मान को ठेस पहुंचाता है।
“रिजल्ट देख तारीफ की, फिर यह ई-अटेंडेंस क्यों – यह दोहरी नीति नहीं तो और क्या है?” – जगदीश यादव
“समर्पण में कमी नहीं, अपमान मंज़ूर नहीं”
ज्ञापन में कहा गया है कि शिक्षक अपने कर्तव्य को पूरी निष्ठा और उत्तरदायित्व के साथ निभा रहे हैं। वे व्यवस्था का विरोध नहीं कर रहे, लेकिन वे भेदभाव का विरोध अवश्य कर रहे हैं।
“यदि ई-अटेंडेंस व्यवस्था समान रूप से सभी कर्मचारियों पर लागू की जाती है तो शिक्षक वर्ग इसमें पूरा सहयोग देगा।“
प्रदेशव्यापी ज्ञापन अभियान में भारी उत्साह
प्रदेश उपाध्यक्ष राधेश्याम पुरविया ने बताया कि 28 जून को समस्त जिला व विकासखंड मुख्यालयों पर शिक्षकों ने लोकतांत्रिक तरीके से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। सभी ने एक स्वर में माँग की कि जब तक यह व्यवस्था अन्य विभागों में नहीं आती, तब तक इसे शिक्षा विभाग में स्थगित किया जाए।
📌 विशेष टिप्पणी:
यह मुद्दा केवल ई-अटेंडेंस का नहीं, शिक्षक गरिमा का है। यदि सरकार इस विषय पर संवेदनशील नहीं रही, तो यह एक बड़े असंतोष का कारण बन सकता है।

✍️ यह रिपोर्ट जनमत जागरण की विशेष शिक्षा पड़ताल का हिस्सा है।