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झालावाड़ में न्यूरोसर्जरी के नये युग की शुरुआत – डॉ. रामसेवक योगी ने रचाया चिकित्सा इतिहास, ब्रेकियल कॉम्प्लेक्स सर्जरी में भी में बना उम्मीद का केंद्र

न्यूरो सर्जरी में नए प्रतिमान रचते डॉ. रामसेवक योगी | ब्रेकियल कॉम्प्लेक्स सर्जरी में भी झालावाड़ में बना उम्मीद का केंद्र

जनमत जागरण @ झालावाड़ ब्यूरो

जब उम्मीदें दम तोड़ने लगती हैं और शरीर शून्य सा हो जाता है, तब कोई मसीहा बनकर आता है।
झालावाड़ मेडिकल कॉलेज के न्यूरोसर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. रामसेवक योगी एक ऐसा ही नाम हैं, जिन्होंने न केवल चिकित्सा विज्ञान में नए प्रतिमान गढ़े, बल्कि सैकड़ों जिंदगियों को नई रौशनी दी। ब्रेन और स्पाइन सर्जरी में उत्कृष्ट कार्य के साथ अब उन्होंने ब्रेकियल प्लेक्सस जैसे जटिल ऑपरेशनों में भी उल्लेखनीय सफलता हासिल की है – एक ऐसी स्थिति, जिसमें हाथ की नसें टूट जाने के कारण पूरा हाथ काम करना बंद कर देता है।


मुख्य समाचार – विस्तार से

राजस्थान के झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में आज जो चिकित्सा चमत्कार हो रहे हैं, वे कुछ वर्षों पहले तक केवल महानगरों में ही संभव थे। सड़क दुर्घटनाओं या अन्य गंभीर हादसों के शिकार मरीज, जिन्हें कभी जयपुर, दिल्ली, मुंबई या अहमदाबाद जैसे शहरों में रेफर किया जाता था, अब झालावाड़ में ही सफल ऑपरेशन करवा रहे हैं।

डॉ. रामसेवक योगी ने विगत दो वर्षों में 500 से अधिक ब्रेन और स्पाइन सर्जरी कर एक चिकित्सा क्रांति की शुरुआत की है। उनके हाथों से कई ऐसे मरीज स्वस्थ हुए हैं, जो अन्य शहरों में इलाज करवा कर थक चुके थे और उम्मीद छोड़ बैठे थे।

🔬 अब झालावाड़ में हो रही ब्रेकियल प्लेक्सस जैसी जटिल माइक्रो सर्जरी
ब्रेकियल प्लेक्सस – यानी कंधे से हाथ तक की प्रमुख नसों का समूह। जब किसी हादसे में ये नसें खिंच जाती हैं या टूट जाती हैं, तो हाथ पूरी तरह से निष्क्रिय हो जाता है। पहले इस समस्या का इलाज दुर्लभ और खर्चीला होता था। लेकिन अब डॉ. योगी ने माइक्रो सर्जरी तकनीक से इन नसों को जोड़ने का सफल प्रयास किया है, जो चिकित्सा जगत में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।


✅ सफल प्रेरक केस स्टडी: जब आशा लौटी

🔹 मरीज महेश (उम्र 20, रायपुर)
सड़क हादसे में दाएं हाथ की नसें (ब्रेकियल प्लेक्सस) क्षतिग्रस्त हो गईं। हाथ बिल्कुल काम करना बंद कर चुका था। लेकिन डॉ. योगी के सटीक ऑपरेशन से अब वह धीरे-धीरे सामान्य जीवन की ओर लौट रहा है।

🔹 चेतन कुमार भील (उम्र 19, बागेर निवासी)
एक सामाजिक रेली के दौरान चोट लगने से हाथ की नसें क्षतिग्रस्त हुईं। ऑपरेशन के बाद चेतन का हाथ अब फिर से सक्रिय हो रहा है। यह खबर आदिवासी समाज के लिए भी एक नई आशा बनकर आई है।

🔹 अब तक 8 सफल सर्जरी
डॉ. योगी द्वारा ब्रेकियल प्लेक्सस की अब तक कुल 8 जटिल सर्जरी सफलतापूर्वक की जा चुकी हैं, जो मेडिकल हिस्ट्री में उल्लेखनीय है।


सार्थक चिंतन – चिकित्सा केवल उपचार नहीं, विश्वास की पुनर्स्थापना है

डॉ. रामसेवक योगी का कार्य केवल ऑपरेशन करना नहीं है, वे हर मरीज को नई आशा, साहस और आत्मबल देते हैं। उनके लिए हर केस एक जीवित मानवीय कहानी है, जो संघर्ष, टूटन और पुनर्निर्माण की मिसाल है।

जहां एक ओर चिकित्सा जगत में व्यावसायिकता की बात होती है, वहीं डॉ. योगी जैसे चिकित्सक हमें यह विश्वास दिलाते हैं कि अब भी सेवा, समर्पण और संवेदना से बड़ा कोई औजार नहीं।


✍️ पहले भी रचे जा चुके हैं चिकित्सा के नए अध्याय

जनमत जागरण ने पूर्व में भी डॉ. रामसेवक योगी की रिपोर्टिंग की है, जब उन्होंने न्यूरोसर्जरी के क्षेत्र में ब्रेन ट्यूमर, रीढ़ की हड्डी की जटिल समस्याओं और आपातकालीन ट्रॉमा सर्जरी में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की थी।

  • ब्रेन ट्यूमर और स्पाइन की जटिल सर्जरी में डॉ. योगी की कार्यक्षमता पहले भी सुर्खियों में रही है।
  • कोविड काल के बाद न्यूरोसर्जरी यूनिट के पुनर्गठन और आधुनिक तकनीकों की शुरुआत में उनका विशेष योगदान रहा है।
  • छात्रों को प्रशिक्षण देने और जागरूकता शिविर आयोजित करने में भी उनकी भूमिका उल्लेखनीय रही है।

🕊️ अंत में…
जब जीवन थमता है, तो एक चिकित्सक की उंगलियों से दोबारा धड़कनें शुरू होती हैं। डॉ. रामसेवक योगी ने यह साबित किया है कि छोटा शहर, सीमित संसाधन और सरकारी अस्पताल – ये किसी प्रतिभा को नहीं रोक सकते। झालावाड़ की धरती अब चिकित्सा के क्षेत्र में आशा की धरती बन चुकी है।

🖋️ सार्थक चिंतन | जनमत की शक्ति – सत्य की प्रतिबद्धता


जब पत्रकारिता सत्य का दर्पण बनती है, तब समाज स्वयं अपना मूल्यांकन करने लगता है। झोलाछाप डॉक्टरों की पोल खोलने वाली हमारी ग्राउंड रिपोर्ट ने न सिर्फ एक नई बहस को जन्म दिया, बल्कि एक सामाजिक सुधार की लहर भी चलाई। जो क्लीनिक वर्षों से अराजकता फैला रहे थे, उन्होंने स्वयं ताले जड़ दिए – यही जनमत की जागृति है।
आज जब हम डॉ. योगी जैसे चिकित्सा क्षेत्र के नवाचारियों की सफलताओं को मंच दे रहे हैं, तब यह स्पष्ट संदेश है कि

  • जनमत जागरण न तो किसी भय में लिखता है, न किसी प्रभाव में – हम लिखते हैं वहीं, जो जनहित में हो, जो सच्चा हो, जो सार्थक हो।

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