Breaking news : “गो तस्करों से मिलीभगत कर पुलिस ने साध्वी कपिला व गोसेवकों पर दर्ज किए फर्जी मुकदमे, संत समाज ने चेताया – अब होगा जनआंदोलन”

✍ “साधु अवज्ञा तुरत भवानी, करहिं न संत समरथ प्रभु जानी”

रामचरितमानस की यह चौपाई समय-समय पर हमें याद दिलाती है कि साधु-संतों का अपमान किसी भी समाज और शासन के लिए विनाशकारी होता है। संत तो करुणा और त्याग की प्रतिमूर्ति होते हैं, जो समाज को धर्म और न्याय की राह दिखाते हैं। पर जब उन्हीं संतों और गौभक्तों पर अन्याय और प्रताड़ना थोप दी जाती है, तब यह केवल व्यक्तियों पर अत्याचार नहीं, बल्कि सम्पूर्ण संस्कृति और धर्म की आत्मा को आहत करना होता है।
धौलागढ़ (सलूंबर) की पावन भूमि पर चल रही गो कृपा कथा में ग्वाल संत पूज्य स्वामी गोपालानंद सरस्वती जी महाराज ने जब पुलिस और नेताओं की मिलीभगत से साध्वी कपिला गोपाल सरस्वती एवं गौसेवकों पर दर्ज किए गए फर्जी प्रकरण की पीड़ा को व्यक्त किया, तो वातावरण गूंज उठा। उनकी वाणी में केवल आक्रोश नहीं था, बल्कि वह करुण पुकार भी थी, जो हर धर्मनिष्ठ व्यक्ति के हृदय को झकझोर देती है।

❖ गो तस्करी का खेल और प्रशासन की चुप्पी
जनमत जागरण @ धौलागढ़ उदयपुर (सलूंबर) : स्वामी जी ने कहा कि एक ओर देश स्वतंत्रता दिवस मना रहा है, वहीं दूसरी ओर भगवान शंकर के प्रिय नंदी बाबाओं और गौवंश की तस्करी, मेलों की आड़ में खुलेआम हो रही है। हाईकोर्ट के प्रतिबंध (2014) के बावजूद परबतसर (नागौर) में वीर तेजा पशु मेले का आयोजन किया गया, जहाँ न सिर्फ नाबालिग नंदी-बछड़ों का परिवहन हुआ बल्कि अधूरे दस्तावेज़ों और वाहनों की क्षमता से कहीं अधिक संख्या में गोवंश भरकर ले जाया गया।
जब गौभक्तों ने इस पर संज्ञान लिया, तो कथित तस्करों ने धारदार हथियारों से हमला कर उन्हें लहूलुहान कर दिया। कई गौसेवक अभी भी अस्पतालों में गंभीर स्थिति में हैं। लेकिन दुर्भाग्य यह कि पीड़ित गौसेवकों को न्याय दिलाने के बजाय पुलिस ने उन्हीं पर मुकदमे ठोक दिए।
❖ साध्वी कपिला जी को दी गई प्रताड़ना
घटना की जानकारी मिलने पर धेनु शक्ति संघ की केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य साध्वी कपिला गोपाल सरस्वती दीदी स्वयं मौके पर पहुँचीं। परंतु उन्हें भी समझाइश देने और शांति कायम करने के बजाय, पुलिस ने रात 1:30 बजे तक थाने में हिरासत में रखकर अपमानित किया। पुलिस ने साध्वी जी और अन्य गौसेवकों पर धारा 307 जैसी गंभीर धाराएँ लगाकर 15 से अधिक गोभक्तों को 13 अगस्त से अब तक लॉकअप में डाल रखा है, जबकि कानून केवल 24 घंटे से अधिक की हिरासत की अनुमति नहीं देता।
❖ राजनीतिक दबाव और षड्यंत्र
स्वामी गोपालानंद सरस्वती जी महाराज ने आरोप लगाया कि पूरा षड्यंत्र स्थानीय नेताओं और भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से रचा गया है। घायल बताए गए व्यक्ति को जयपुर स्थित रिश्तेदार के अस्पताल में दाखिल कराकर धारा 307 को मजबूती देने का प्रयास किया जा रहा है।
❖ संत समाज का अल्टीमेटम
महाराज जी ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि साध्वी कपिला गोपाल सरस्वती और गौसेवकों पर दर्ज फर्जी मुकदमे तुरंत वापस नहीं लिए गए, तो पूरा संत समाज जनआन्दोलन के लिए बाध्य होगा। यह केवल साध्वी जी और गोभक्तों का नहीं, बल्कि गौमाता की रक्षा और धर्मनिष्ठ समाज की प्रतिष्ठा का प्रश्न है।

🌿 सार्थक चिंतन
जब धर्म और सत्य के पथ पर चलने वाले साधु-संत ही अन्याय के शिकार बना दिए जाएँ, तो यह केवल कानून की विफलता नहीं बल्कि समाज की चेतना की भी परीक्षा होती है।
गौमाता केवल एक पशु नहीं, भारतीय संस्कृति की आत्मा हैं। उनकी रक्षा करना केवल धार्मिक कर्तव्य नहीं, बल्कि राष्ट्र की आत्मा को बचाना है।
यदि प्रशासन और राजनेता इस गंभीर संदेश को नहीं समझते तो जन-आन्दोलन की लहर एक चेतावनी बनकर उन्हें घेर लेगी।
समय है कि समाज जागे और साधु-संतों के साथ खड़ा होकर यह सिद्ध करे कि सत्य, धर्म और गोमाता की रक्षा ही भारत की असली पहचान है।
👇 नीचे दी गई लिंक को क्लिक करें और भी पढ़ें
🌼 श्रीकृष्ण जन्माष्टमी विशेष : सिद्धार्थ से सार्थकता की ओर : श्रीकृष्ण के जीवन से हर क्षेत्र के लिए सीख