श्राद्ध पक्ष के 16 दिनों तक किससे बनी खीर का सेवन करने से मनुष्य पूरे वर्षभर इस बीमारी से बचता है – जानिए : गोकथा के माध्यम से क्या है वैज्ञानिक कारण

🚩 जीवन में संकल्प हो संकल्प का विकल्प न हो - भागवतवेत्ता पण्डित राजेश्वर महाराज
जनमत जागरण @ सुसनेर। आज भारतरत्न डाक्टर भगवानदास जी का निर्वाण दिवस है । आप भारत के प्रमुख शिक्षा शास्त्री, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, दार्शनिक (थियोसोफी) एवं कई संस्थाओं के संस्थापक रहें है। सन् १९५५ में उन्हें भारतरत्न की सर्वोच्च उपाधि से विभूषित किया गया था। भगवान दास एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, एक प्रतिभाशाली विद्वान, एक थियोसोफिस्ट और एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक व्यक्ति थे। उनका जन्म 12 जनवरी 1869 को हुआ था और 18 सितंबर 1958 को 89 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई। उनका जन्म वाराणसी शहर में हुआ था और आज ही के दिन सन 1906 में हाथरस में जन्मे काका हाथरसी (असली नाम: प्रभुलाल गर्ग) हिंदी हास्य कवि थे। उनकी शैली की छाप उनकी पीढ़ी के अन्य कवियों पर तो पड़ी ही, आज भी अनेक लेखक और व्यंग्य कवि काका की रचनाओं की शैली अपनाकर लाखों श्रोताओं और पाठकों का मनोरंजन कर रहे हैं। आज ही के दिन उनका निर्वाण दिवस भी है । उक्त बातें आज दोनों दिव्यात्माओ को वंदन करते है। एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 163 वे दिवस के अवसर पर श्रोताओं को सम्बोधित करते हुए स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज ने कही ।
- 🚩 पूज्य महाराज जी ने बताया कि भगवती गोमाता जिनकी दिव्यता इतनी है कि वे सामान्य रूप में होकर भी वह भारत की सनातन परम्परा एवं संस्कृति के प्रत्येक सद्कर्म में भगवती गोमाता की भूमिका है यानि जब तक पृथ्वी पर रहें तब तक और पृथ्वी से चले जाने के बाद भी जगत जननी भगवती गोमाता की आवश्यकता रहती है और श्राद्ध पक्ष में तो यह बात और अधिक स्पष्ट हो जाती है जिसका करीब करीब सभी पुराणों,धर्मग्रंथ ,वेदों और भगवत गीताजी में उल्लेख है कि श्राद्द पितृ सत्ता का पर्व है और वह गायमाता के बिना तो सम्भव ही नहीं है अर्थात ऐसी गोमाता जो जीवन के साथ भी और जीवन के बाद भी पग पग पर हमारा साथ निभाती है और धर्मावतार बाबा नन्दी वृषभदेव जिनका सर्व देव पितृ कार्य अमावस्या को अनुष्ठान पूर्वक वृष उत्सर्ग कर्म करके उन्हें छोड़ा जाएं तो उससे 71 पीढ़ी तक के पितृ संतुष्ट एवं आनंदित होते है ।
🚩 स्वामीजी ने बताया कि पितृ पक्ष तो कर्तव्य की गाथा है । आजकल लोग अपने अधिकारों की चर्चा तो करते है,लेकिन कर्तव्य पालन की कोई बात नही करता है और जिस दिन प्रत्येक मनुष्य अपने कर्तव्य को ही अपना अधिकार मान ले तो फिर वह मनुष्य सब बन्धन से मुक्त होकर भव सागर की नैया भगवती गोमाता की सेवा करके पार कर सकता है। स्वामीजी ने मनुष्य के तीन कर्म बताएं है जिसमें प्रथम निज कर्तव्य और सबसे उत्तम निज कर्म गो सेवा ही है ,दूसरा कर्म है परकर्म अर्थात दूसरों का भला हो उस कर्म को करने वाला यानि स्वयं कष्ट सहकर दूसरों के सुख की चिंता करें वह ही श्रेष्ठ कर्म है और वह निष्काम कर्म गोमाता की सेवा से ही आता है और तीसरा कर्तव्य घर कर्तव्य जिसमें घर परिवार में रहकर कोई आशक्ति न हो वही कर्तव्य घर कर्तव्य है और इस घर कर्तव्य में श्राद्ध कर्तव्य भी आता है ।

🚩 स्वामीजी ने श्राद्ध पक्ष में गोमाता के दुग्ध से बनी खीर का श्राद्ध पक्ष के 16 दिनों तक लगातार सेवन करने से मनुष्य पूरे वर्ष भर डेंगू जैसी बीमारी से बचता है जिसका वैज्ञानिक महत्त्व है कि जैसे ही वर्षा ऋतु का उत्तरार्ध एवं शरद ऋतु का आगमन होता है तो इस काल में मनुष्य में पित्त का प्रभाव ज्यादा बढ़ता है और उस पित्त को गोमाता के दुग्ध से बनी खीर को खाकर समन किया जा सकता है ।
🚩163 वीं गोकृपा कथा के अवसर पर बड़नगर निवासी भागवतवेत्ता पण्डित राजेश्वर जी महाराज ने गोमाता के इस पवित्र धाम में पहुंचकर अपने आप को धन्य मानते हुए कहां कि आज यहां आकर लगता है कि मैने अपने जीवन की यात्रा पूर्ण कर ली है और अब मुझे भगवती गोमाता की कृपा से भगवत यात्रा का मार्ग मिल गया है ।पण्डित जी ने बताया कि आत्मा और परमात्मा दोनों के बीच एक सूत्र होता है ओर वह है एक महात्मा और आज मैने पूज्य महाराज के दर्शन कर इस सूत्र को पा लिया है साथ ही जीवन में संकल्प हो संकल्प का विकल्प न हो और सम्पूर्ण विश्व को धर्मवादी , वेदवादी और भक्ति व्यासपीठ से मिले लेकिन आज कल कुछ कथावाचको ने व्यास पीठ को व्यावसायिक बना दिया है साथ ही हमारे समाज में वस्त्र एवं भोजन को लेकर जो विकृति आई है उसका क्या समाधान है,इसका समाधान महाराज जी से मांगा जिस पर स्वामीजी ने बताया कि वास्तव में आजकल व्यासपीठ की बोली लगती है जबकि व्यासपीठ का वही पात्र है जो सुखदेव जी जैसे गुण रखता हो एवं गोकर्ण जैसा धैर्य हो वही व्यासपीठ का सच्चा अधिकारी है और आज समाज में भोजन एवं वस्त्र को लेकर समाज में जो विकृति आई है, उसमें सबसे बड़ी भूमिका हमारे देश की मैकाले शिक्षा पद्धति का विशेष महत्व है ।
⏩ अतिथि:: गो कृपा कथा में पूज्य रतन बाबा अजमेर का आशीर्वाद मिला व सिद्धार्थ बंबोरी कार्यपालन यंत्री, MPEB सुसनेर व अरुणकुमार सेवा निवृत सहायक यंत्री उज्जैन एवं MPEB के कार्यालय सहायक रवि कुमार दुबे, व ज्ञानेश्वर गोशाला सेमली(नलखेड़ा)से जगदीश धाकड एवं लक्ष्मीचंद धाकड आदि अतिथि उपस्थित रहें । श्राद्ध पक्ष के प्रथम दिवस पर बिहार पटना निवासी रामेश्वर प्रसाद सिन्हा एवं दिल्ली निवासी लाखन सिंह ने अपने पितरों की तृप्ति के लिए गो अभयारण्य में गो पुच्छ तर्पण किया ।

⏩ 163 वे दिवस पर चुनरी यात्रा राजस्थान के झालावाड़ जिले से :: एक वर्षीय गोकृपा कथा के 163वें दिवस पर राजस्थान के झालावाड़ जिले की पचपहाड़ तहसील के नाथूखेड़ी ग्राम के धीरप सिंह,रामसिंह, कमल सिंह,मानसिंह, लाल सिंह,गोविंद सिंह एवं पवनलाल ने अपने देश, राज्य एवं ग्राम, नगर के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।