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संस्कार, योग और सेवा की त्रिवेणी हैं योगाचार्य हरीश श्रीवास्तव – 21 जून अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर विशेष

जब मनुष्य विज्ञान और भौतिकता के जाल में उलझता चला गया, तब भारत ने उसे आत्मा की ओर लौटने का मार्ग दिखाया — योग के रूप में।आज 21 जून को जब पूरा विश्व अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रहा है, यह केवल एक आयोजन नहीं, भारत की जीवन दृष्टि की पुनः स्थापना है। योग न कोई धर्म है, न पंथ, यह आत्मा की खोज का सार्वभौमिक विज्ञान है। 🪔 योग कोई विकल्प नहीं, वह मानवता के लिए अनिवार्य जीवनशैली है।

📿 योग दिवस विशेष | जनमत जागरण
📍 सार्थक दृष्टिकोण से
🗓 21 जून – अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस

योग एक जीवन साधना है, केवल व्यायाम नहीं

भारत को विश्वगुरु बनाने के संकल्प की साधना हैं – योगाचार्य हरीश श्रीवास्तव

“भारत माता की जय” केवल उद्घोष नहीं, एक तपस्या है – जिसे पूर्ण करने के लिए हमें अपने मूल ज्ञान, योग और अध्यात्म की ओर लौटना ही होगा।

भारतवर्ष की भूमि केवल पर्वत, नदियों और सीमाओं से नहीं बनती – यह वह चेतना है जो वेदों से फूटकर उपनिषदों में बहती है, योग से तपकर जीवन में उतरती है, और संस्कृत के स्वर में अभिव्यक्त होती है। इसी जीवनदृष्टि को आत्मसात कर, नलखेड़ा निवासी एवं वर्तमान में आगरमालवा में रह रहे योगाचार्य हरीश कुमार श्रीवास्तव ने अपने जीवन को योग की साधना और सेवा में समर्पित किया है।

✦ योगाचार्य श्रीवास्तव: एक साधक, एक शिक्षक, एक समर्पित योगसेवी

शासकीय सेवा में रहते हुए आपने उत्कृष्ट विद्यालय आगर मालवा में शैक्षिक दायित्व निभाया और सेवा-निवृत्ति के उपरांत भी योग को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प नहीं छोड़ा। आपकी विशेषताएं आपके बहुआयामी ज्ञान में भी परिलक्षित होती हैं — हिन्दी, राजनीति शास्त्र और योग में स्नातकोत्तर, बी.एड., एल.एल.बी., डी.पी.एड. के साथ ही गुजराती, उर्दू एवं ज्योतिष में डिप्लोमा जैसी विविध योग्यताएं आपको एक विशिष्ट शिक्षक बनाती हैं।

✦ योग – जनसेवा का माध्यम

योगाचार्य श्रीवास्तव ने 1996 शासकीय शिक्षकों को योग प्रशिक्षण प्रदान किया। कक्षा 6वीं और 7वीं के लिए शासकीय पाठ्यक्रम निर्माण में आपकी सहभागिता उल्लेखनीय है। जिला, संभाग और राष्ट्रीय योग प्रतियोगिताओं में निर्णायक और कोच की भूमिका में भी आपने योग की गरिमा को बढ़ाया।

✦ सेवाओं का विस्तार: विद्या भारती से पतंजलि तक

  • विद्या भारती में “अखिल भारतीय सह-संयोजक (योग शिक्षा)” के दायित्व से लेकर,
  • आरोग्य भारती (मध्य भारत) के प्रांतीय योग प्रमुख,
  • पतंजलि योगपीठ हरिद्वार से प्रशिक्षण प्राप्त कर बाबा रामदेव जी द्वारा आगर जिले के प्रमुख योग शिक्षक के रूप में नियुक्ति — यह सब दर्शाता है कि श्रीवास्तव का जीवन योग की अखंड धारा बना हुआ है।

✦ पुरस्कार एवं सम्मान

  • 26 जनवरी 2015 को मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा सम्मानित,
  • राष्ट्रीय पंचकर्म अकैडमी, ओजस आयुर्वेद संस्थान, आरोग्य भारती, आयुर्वेद महासम्मेलन,
  • नगरपालिका परिषद आगर, जिलाधीश महोदय सहित अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मान।

✦ लेखनी से भी योग का प्रचार

आपके योग विषयक लेख विभिन्न समाचार-पत्रों व पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। कोरोना काल में दूरभाष के माध्यम से अनेक जनों को योग द्वारा आरोग्य दिया गया।

✦ विशेष दायित्व:

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा गठित “मध्य प्रदेश योग आयोग” में एकमात्र सदस्य के रूप में नामित किया जाना आपके योगदान की साक्षात् पुष्टि है।


🔷 संस्कृत, योग और अध्यात्म – भारत के पुनरुत्थान के तीन स्तंभ

योगाचार्य श्री श्रीवास्तव का स्पष्ट मानना है कि भारत को फिर से जगतगुरु के सिंहासन पर प्रतिष्ठित करना है तो हमें तीन बातों को जीवन में लाना होगा:

  1. संस्कृत – वैज्ञानिक भाषा, वेदों की जननी, विचारों की शुद्धता।
  2. योग – जीवन जीने की कला, स्वास्थ्य का विज्ञान, मोक्ष की सीढ़ी।
  3. अध्यात्म – आत्मा की पहचान, ब्रह्म से मिलन की यात्रा।

✦ योग: भारत की आत्मा, विश्व का समाधान

21वीं सदी के भौतिक अंधड़ में जब पूरा विश्व मानसिक तनाव, शारीरिक रोगों और आत्मिक भ्रम में उलझा हुआ था, तब भारत ने योग के माध्यम से समाधान का मार्ग दिखाया। योग कोई नया आविष्कार नहीं, अपितु भारत की प्राचीन ऋषि परंपरा से निकला वह अमृत है, जो मनुष्य को शरीर, मन और आत्मा के स्तर पर संतुलित करता है।

✦ अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की “योग-दृष्टि”

वर्ष 2014 में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में जब 21 जून को “अंतरराष्ट्रीय योग दिवस” के रूप में मान्यता देने का प्रस्ताव रखा, तो 193 देशों में से 177 देशों ने उसका समर्थन किया – यह इतिहास का सबसे तेज़ी से स्वीकारा गया अंतरराष्ट्रीय प्रस्ताव था।
इस पहल ने भारत को केवल सांस्कृतिक पहचान नहीं दी, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य विमर्श में आध्यात्मिक नेतृत्व की भूमिका भी प्रदान की। योग दिवस थीम – “योगा फॉर वन अर्थ – वन हेल्थ” के माध्यम से आज पूरे विश्व में 191 देश में 1300 स्थान 2000 मेगा कार्यक्रम चल रहे हैं ।

✦ योग – केवल आसन नहीं, जीवन की पूर्ण दृष्टि

आज योग को दुनिया भर में केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि जीवन के चारों पुरुषार्थ – धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की दिशा में एक वैज्ञानिक साधना माना जा रहा है। चाहे प्राणायाम हो या ध्यान, यम-नियम हो या आत्मदर्शन – योग मनुष्य को समग्र रूप से सजग, संतुलित और समर्थ बनाता है।

✦ कोरोना काल में योग बना जीवन का रक्षक

कोरोना महामारी के काल में जब दवा और डॉक्टर भी सीमित थे, तब योग, प्राणायाम और ध्यान ने लाखों लोगों को मानसिक स्थिरता, श्वास नियंत्रण और रोग प्रतिरोधक शक्ति प्रदान की। WHO सहित विश्व की अनेक संस्थाओं ने इसे वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के रूप में भी स्वीकार किया।


🔸 आज 21 जून है – अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस। आइए, इस दिन हम केवल एक दिन का आयोजन न मानें, बल्कि योग को अपने जीवन का संकल्प बनाएं।
एक शिक्षक ने जीवन भर योग से आरोग्य बांटा, अब हमें उनसे प्रेरणा लेकर अपनी जीवनशैली में योग को आत्मसात करना है।

🪔 भारत माता की जय तभी सार्थक होगी, जब हर भारतवासी योग से जुड़ेगा, निरोग बनेगा, और आत्मचेतना के पथ पर चलेगा।

✍️ संपादकीय प्रस्तुति: जनमत जागरण | ‘सार्थक दृष्टिकोण’
📩 आप भी योग संबंधी प्रेरणाएं, अनुभव या विचार हमें भेज सकते हैं – हम उन्हें जनमत की आवाज़ बनाएंगे।


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