RAM MANDIR : राम मंदिर आंदोलन से जुड़े लोगों के खिलाफ एक्शन का आदेश ,कांग्रेस की कर्नाटक सरकार के आदेश पर पुलिस ने कि एक स्पेशल टीम गठित

हिंदू संगठनों किया विरोध - दो लोगों को कथित तोड़फोड़ के आरोप में किया गिरफ्तार पुलिस ने 300 लोगों की बनाई लिस्ट ,कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धार्थ मैया सरकार का फैसला , 30 साल पुराने मामले को किया रिओपन राममंदिर आंदोलन से जुड़े लोगों को केस दर्ज
जनमत जागरण @ अयोध्या राम जन्मभूमि :: पूरे विश्व में मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम के जन्म भूमि अयोध्या का चहुमुखी विकास चल रहा है अलौकिक अयोध्या की तैयारी चल रही है अयोध्या को अंतर्राष्ट्रीय पटल पर प्रमुखतम आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र की पहचान दिलाने के लिए सरकार कटिबंध है तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस को यह सब रस नहीं आ रहा है । अब कांग्रेस की कर्नाटक सरकार ने यह आदेश दिया है कि 6 दिसंबर 1992 की घटना के समय जो लोग इस आंदोलन से जुड़े थे उनके केस रिओपन कर रही है लेकिन देश में एक पार्टी ऐसी भी है जो तुष्टिकरण की नीति अपना कर उसे समय आंदोलन से जुड़े हुए लोगों पर करवाई करने को आतुर है । जिसे राम भक्तों से बहुत ही कष्ट होता है। तुष्टिकरण के लिए ये किसी भी हद तक जा सकती है। ये पार्टी है कांग्रेस। कांग्रेस की कर्नाटक में सरकार है। जैसे-जैसे उद्धाटन की तारीख सामने आ रही है वैसे-वैसे कांग्रेस ने तुष्टिकरण की राजनीति तेज कर दी है। इसी क्रम में कर्नाटक में पुलिस ने 30 साल पहले राम मंदिर आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए केस को दोबारा से खोल दिया है। इस मामले में एक व्यक्ति को पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया है। बताया जाता है कि राम मंदिर के लिए लड़े कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई के लिए सरकार के आदेश पर पुलिस ने एक स्पेशल टीम गठित की है। इस स्पेशल टीम ने 1992 के राम मंदिर आंदोलन से जुड़े मामलों की एक सीक्रेट रिपोर्ट तैयार की है। इसमें ऐसे मामलों को जोड़ा गया है, जिसके कारण इस्लामिस्टों की कथित भावनाएं आहत हुई और वो हिंसा करने के लिए मजबूर हूए।
- इस मामले में हुबली जिले की पुलिस ने 300 ऐसे संदिग्ध व्यक्तियों की लिस्ट तैयार की है, जो कि कथित तौर पर वर्ष 1992 से लेकर 1996 तक के संघर्षों में शामिल रहे थे। पुलिस का कहना है कि इनमें से कई आरोपी तो अब 70 साल की अवस्था को भी पार कर चुके हैं और कुछ शहर भी छोड़ चुके हैं। इसी क्रम में कर्नाटक पुलिस ने 5 दिसंबर 1992 को कथित तौर पर हुबली में एक मुस्लिम की दुकान में तोड़-फोड़ के मामले में श्रीकांत पुजारी को हिरासत में लिया है।सूत्रों का कहना है कि तीन दशक पहले 1992 में जब राम मंदिर आंदोलन अपने चरम पर था, तब के हिंसा और सांप्रदायिक दंगों के पुराने मामलों पर कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के शासनकाल में कार्रवाई की जा रही है। पुलिस ने एक विशेष जांच दल का गठन करके ऐसे मामलों में शामिल रहे करीब 300 आरोपितों के नामों की सूची तैयार कर ली है।
पुलिस को इसी मामले में आरोपित अन्य आठ लोगों की तलाश राम मंदिर आंदोलन के दौरान वर्ष 1992 से 1996 के बीच के यह सभी मामले हैं। 5 दिसंबर, 1992 को हुबली में एक अल्पसंख्यक की दुकान जलाने के आरोप में पुलिस ने श्रीकांत पुजारी नाम के एक व्यक्ति समेत दो लोगों को गिरफ्तार किया है। पुजारी इस मामले में तीसरा आरोपित है, जिसे पुलिस ने न्यायिक हिरासत में भेजा है। अब पुलिस को इसी मामले में आरोपित अन्य आठ लोगों की तलाश है।
तीन दशक पुरानी फाइल खुली
आपको बता दें कि साल 1992 में अयोध्या में राम मंदिर के लिए बड़ा आंदोलन हुआ था। इस आंदोलन के तहत देशभर में हिंसक घटनाएं हुईं। कई राज्यों में राम मंदिर समर्थकों पर केस भी दर्ज किये गये। अकेले कर्नाटक में कई जगहों पर हिंसक घटनाएं हुईं। इनमें 300 से ज्यादा लोगों को नॉमिनेट किया गया था। अब कर्नाटक पुलिस ने उन 31 साल पुरानी फाइलों को खोल दिया है। साथ ही सभी आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए विशेष टीमों का गठन किया गया है।
जो 30 साल के थे वे 60 के हो गए
कर्नाटक पुलिस के मुताबिक, सभी हिंसक घटनाएं 1992 से 1996 के बीच हुईं। इसमें पहला मामला 5 दिसंबर 1992 का है। इसमें हुबली में अल्पसंख्यक समुदाय के एक शख्स की दुकान जला दी गई थी। इस मामले में आरोपी श्रीकांत पुजारी और उसके एक साथी को पुलिस ने सोमवार को गिरफ्तार कर लिया। इस घटना में 8 अन्य आरोपी भी हैं। बताया जा रहा है कि इन घटनाओं के वक्त आरोपियों की उम्र करीब 30 साल थी, चूंकि ये मामले 31 साल बाद दोबारा खोले गए हैं, इसलिए अब सभी आरोपी 60 साल की उम्र पार कर चुके हैं।